इन्टरनेट क्या हैं? (What
is internet?)
जब दो या दो से अधिक कंप्यूटर सूचनाओं का आदान - प्रदान करने के लिए एक - दूसरे से कनेक्ट होते है, तो एक जाल बनता है, उसी जाल को Internet
कहा जाता है। हम अपने कंप्यूटर्स में सूचनाओं या दस्तावेज़ों का आदान प्रदान Internet
के कारण ही कर पाते है।
इंटरनेट सूचना तकनीक की सबसे आधुनिक प्रणाली है। इंटरनेट को आप विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्को का एक विश्व स्तरीय समूह
(नेटवर्क) कह सकते है। इस नेटवर्क में हजारों और लाखो कंप्यूटर एक दुसरे से जुड़े है। साधारणत:
कंप्यूटर को टेलीफोन लाइन द्वारा इंटरनेट से जोड़ा
(Connect) जाता है।
इंटरनेट किसी एक कंपनी या सरकार के अधीन नही होता है, अपितु इसमें बहुत से सर्वर
(Server) जुड़े हैं, जो अलग अलग संस्थाओं या प्रायवेट कंपनीयों के होते हैं। कुछ प्रचलित इंटरनेट सेवाएं जैस gopher, file transfer
protocol, World wide web का प्रयोग इंटरनेट मे जानकारीयॉं प्राप्त करने के लिए होता हैं। इंटरनेट को हम विश्वव्यापी विज्ञापन का माध्यम कह सकते हैं। किसी उत्पाद के बारे में विश्वस्तर पर सर्वेक्षण करने के लिए यह सबसे आसान एवं सस्ता माध्यम हैं। विभिन्न जानकारीयॉं जैसे रिपोर्ट, लेख, कम्प्यूटर आदि को प्रदर्शित करने का बहुत उपयोगी साधन हैं।
प्रायः इन्टरनेट पर मौजूद सूचनाओ को देखने के लिए हम वेब ब्राउज़र
(Web Browser) का प्रयोग करते हैं, ये client program होते है तथा Hyper
Text दस्तावेजो के साथ संवाद करने और उन्हें प्रदर्शित करने में सक्षम होते है। वेब ब्राउजर का यूज कर इन्टरनेट पर उपलब्ध विभिन्न सेवाओ का यूज कर सकते है।
इन्टरनेट का इतिहास (History of Internet)
इन्टरनेट का प्रयोग अमेरिका की सेना के लिए किया गया था| शीत युद्ध
(could war) के समय अमेरिकन सेना एक अच्छी, बड़ी, विश्वसनीय संचार सेवा चाहती थी। 1969 में ARPANET नाम का एक नेटवर्क बनाया गया, जो चार कंप्यूटर को जोड़ कर बनाया गया था, तब इन्टरनेट की प्रगति सही तरीके से चालू हुई। 1972 तक इसमें जुड़ने वाले कंप्यूटर की संख्या 37 हो गई थी। 1973 तक इसका विस्तार इंग्लैंड और नार्वे तक हो गया। 1974 में Arpanet को सामान्य लोगो के लिए प्रयोग में लाया गया, जिसे टेलनेट के नाम से जाना गया। 1982 में नेटवर्क के लिए सामान्य नियम बनाये गए इन्हें प्रोटोकॉल कहा जाता है। इन प्रोटोकॉल को TCP/IP (Transmission
control protocol/Internet Protocol) के नाम से जाना गया। 1990 में Arpanet को समाप्त कर दिया गया तथा नेटवर्क ऑफ नेटवर्क के रुप में इन्टरनेट बना। वर्तमान में इन्टरनेट के माध्यम से लाखो या करोंड़ों कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े है। (VSNL) विदेश संचार निगम लिमिटेड भारत में इन्टरनेट के लिए नेटवर्क की सेवाए प्रदान करती है।
Internet के उपयोग (Use of Internet)
अपने शुरूआत के दिनों में इंटरनेट का उपयोग वैज्ञानिकों द्वारा एक दूसरे को रिसर्च पेपर तथा अन्य सूचनाए आदान प्रदान करने तक सीमित था. लेकिन धीरे- धीरे Internet का विकास होता गया और इसमें नई-नई तकनीक को जोडा गया. जिसका वर्तमान स्वरूप हम आज देखते है. आधुनिक Internet हमारी जीवनशैली का हिस्सा हो गया है. हमारे रोजमर्रा के लगभग सारे कार्य Internet के माध्यम से घर बैठकर किये जाने लगे है.
अपने शुरूआत में Internet सिर्फ सूचनाओं के साझा करने तक सीमित था. लेकिन, वर्तमान Internet अपने पैर लगभग हर क्षेत्र में फैला चुका है. चिकित्सा से लेकर दैनिक उपयोग के सामान की खरीदी तक. आइए जानते है Internet के कुछ प्रमुख क्षेत्र जहाँ Internet का उपयोग किया जाता है.
संप्रेषण के लिए
Internet
का सबसे ज्यादातर उपयोग हम आपस से सम्पर्क स्थापित करने के लिए करते है. Internet के द्वारा हम कभी भी और कहीं भी शीघ्रता से अपने चाहने वालो को संदेशा भेज एवं प्राप्त कर सकते है.
खोजने के लिए
Internet
का आविष्कार ही इसलिए किया गया था क्योकि आज से पहले कभी भी किसी भी प्रकार की सूचनाए प्राप्त करना आसान नही था. लेकिन आज हम Internet के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने से जानकारीयाँ प्राप्त कर सकते है और वो भी कुछ ही पलों में.
मनोरंजन के लिए
Internet
का उपयोग मनोरंजन के साधन के रूप में किया जाता है. मनोरंजन के क्षेत्र मे विकल्प असीमित है. इसके माध्यम से हम फिल्में, गाने, विडियों आदि को देख तथा सुन सकते है. पढने के शौकिन अपने मनपसंद लेखक को पढ सकते है.
शिक्षा के क्षेत्र में
इसे E-learning (ई-शिक्षा) कहते है. यह क्षेत्र तेजी से बढ रहा है. आज इंटरनेट के माध्यम से हम घर बैठे ही अपने लिए मनपसंद कॉलेज, स्कूल चुन सकते है. इसके अलावा हमारे पसंद के कोर्स किस कॉलेज में उपलब्ध है और उस कोर्स के बारे में सारी जानकारी और कोर्स की फीस, कोर्स का समयावधि आदि, यह जानकारी हम अपने computer पर प्राप्त कर कर सकते है.
इंटरनेट के फायदे (Advantages of Internet)
ऑनलाइन बिल Online Bills
इंटरनेट की मदद से आसानी से हम घर बैठे अपने सभी बिलों का भुगतान कर सकते हैं। इंटरनेट पर हम क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग की मदद से कुछ ही मिनटों में बिजली,
टेलीफोन, डीटीएच,
या ऑनलाइन शॉपिंग के सभी बिलों का भुगतान कर सकते हैं।
सूचना भेज और प्राप्त कर सकते हैं (Send and receive
information)
भले ही आप विश्व के किसी भी कोने में बैठे हो एक जगह से दूसरी जगह कई प्रकार की जानकारियाँ या सूचना कुछ ही सेकंड में भेज और प्राप्त कर सकते हैं। आज इंटरनेट पर वॉइस कॉल,
वॉइस मैसेज,
ईमेल, वीडियो कॉल,
कर सकते हैं, और साथ ही कई प्रकार के अन्य फाइल भी भेज सकते हैं।
ऑनलाइन ऑफिस (Online office)
कुछ ऐसी बड़ी कंपनी है, जो अपने कर्मचारियों के लिए घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से काम करने की सुविधा देते हैं। कई ऐसी ऑनलाइन मार्केटिंग और कम्युनिकेशन से जुड़ी कंपनियां है, जिसके कर्मचारी अपने घर पर ही लैपटॉप और मोबाइल फोन पर इंटरनेट के माध्यम से मार्केटिंग का काम करते हैं।
ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping)
अब लोगों को बार-बार दुकान जाने की आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि अब आप घर बैठे इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं, और बिना कोई मोल-भाव किए सस्ते दामों मैं सामान खरीद सकते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट की मदद से आज सिर्फ आप सामान खरीद सकते हैं बल्कि आप चाहें तो अपने परिवार और रिश्तेदारों को गिफ्ट भी भेज सकते हैं।
व्यापार को बढ़ावा (Business promotion)
अब इंटरनेट घर घर में अपनी जगह बना चुका है। इसीलिए इंटरनेट के माध्यम से अगर आप चाहें तो अपने व्यापार को बहुत आगे ले जा सकते हैं। विश्व की सभी बड़ी कंपनियां अपने व्यापार को और आगे ले जाने के लिए इंटरनेट की मदद ले रहे हैं। विश्व के सभी कंपनियां ऑनलाइन एडवरटाइजिंग,
एफिलिएट मार्केटिंग और वेबसाइट की मदद से अपने व्यापार को इंटरनेट के माध्यम से पूरे विश्व भर में फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
अब नौकरियों के लिए आवेदन और जानकारी प्राप्त करना भी बहुत आसान हो गया है।अब आप आसानी से घर बैठे जॉब पोर्टल वेबसाइट की मदद से किसी भी नौकरी के विषय में जान सकते हैं और उनके वेबसाइट पर जाकर नौकरी के लिए आवेदन भी कर सकते हैं।
फ्रीलांसिंग (Freelancing)
धीरे-धीरे इंटरनेट पर फ्रीलांसर बढ़ते जा रहे हैं, जो फ्रीलांसिंग के माध्यम से बहुत अच्छा पैसा कमा रहे हैं। फ्रीलांसर का अर्थ होता है इंटरनेट पर अपने कौशल का इस्तेमाल करके कुछ पैसा कमाना। आज इंटरनेट पर लोग वेबसाइट बनाकर,
ऑनलाइन सर्वे,
एफिलिएट मार्केटिंग,
ब्लॉगिंग, YouTube पर वीडियो अपलोड करके और कई अन्य तरीकों से घर बैठे पैसा कमा रहे हैं।
मनोरंजन Entertainment
इस आधुनिक युग में अब इंटरनेट घर घर में मनोरंजन का साधन बन चुका है। खाली समय में हम इंटरनेट की मदद से गाना सुन सकते हैं,
फिल्में और टेलीविज़न देख सकते हैं। साथ ही हम ऑनलाइन अपने दोस्तों से सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर चैट भी कर सकते हैं।
इंटरनेट से हानियाँ (Disadvantages of
Internet )
समय की बर्बादी (Waste of time)
जो लोग इंटरनेट को अपने ऑफ़िस के काम के लिए और जानकारी लेने के लिए उपयोग करते हैं उनके लिए तो इंटरनेट बहुत लाभदायक होता है, परन्तु जो लोग बिना किसी मतलब इसे अपनी आदत बना लेते हैं उनके लिए यह समय की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं। हमें इंटरनेट को समय के अनुसार उपयोग करना चाहिये ।
इन्टरनेट फ्री नहीं होता है (Internet is not free)
इंटरनेट का कनेक्शन तभी हमें लेना चाहिए जब हमें इसकी ज़रुरत हो क्योंकि लगभग सभी इंटरनेट प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट का भारी चार्ज लेते हैं। अगर आपको इंटरनेट की आवश्यकता ज्यादा नहीं पड़ती है तो आप कोई प्री-पेड इंटरनेट सर्विस ले सकते हैं जिसकी मदद से आप जब चाहें तब रिचार्ज करवा कर इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।
शोषण,
अश्लीलता और हिंसक छवियां
(Exploitation
and pornography and violent images)
इंटरनेट पर संचार की गति बहुत तेज़ है। इस लिए लोग अपने किसी दुश्मन या जिसको बदनाम करना चाहते हों उसने विषय में ऑनलाइन गलत प्रचार करके शोषण और अनुचित लाभ उठाते हैं। साथ ही इंटरनेट पर कई ऐसे वेबसाइट हैं जिन पर अश्लील चीजें हैं जिनके कारण कम उम्र के बच्चों को गलत शिक्षा मिल रही है।
पहचान की चोरी, हैकिंग, वायरस और धोखाधड़ी (Identity
theft, hacking, viruses, and cheating)
क्या आपको पता है आप जिन भी वेबसाइट पर अपना अकाउंट रजिस्टर करते हैं उनमें से लगभग 50-60%
कंपनियां आपके निजी जानकारियों को बेचती हैं या उनका दुरुपयोग करती है। कुछ लोग इंटरनेट की मदद से आपके जरूरी जानकारियों को भी हैक कर सकते हैं।अभी हाल ही में विश्व भर के कई कंप्यूटर पर Ransom
ware Attack हुआ था जिसमें कई लोगों का करोड़ों का नुक्सान हुआ। इंटरनेट के माध्यम से ही हमारे कंप्यूटर और मोबाइल फ़ोन पर वायरस आने का ख़तरा रहता है इसलिए एक अच्छा एंटीवायरस प्रोटेक्शन का होना बहुत ज़रूरी होता है।
इंटरनेट से लोगों की निजी जानकारियाँ और Email
Id को चुरा कर कई धोखेबाज़ कंपनियां झूठे ईमेल भेजती हैं जिनसे वो उन्हें ठकते हैं। उन ही ईमेल का रिप्लाई भेजें जिनकी आपको आवश्यकता है। अनजाने ईमेल को तुरंत स्पैम
(Spam)
की लिस्ट में भेज दें या delete
कर दें। कुछ भी ईमेल के लिंक से ना खरीदे ,
हमेशा किसी बड़ी शॉपिंग वेबसाइट पर सीधे जाकर समान खरीदे।
इंटरनेट की लत और स्वास्थ्य प्रभाव (Internet Addiction & Health Effects)
दुनिया में वह शराब की लत हो या किसी और चीज की शरीर के लिए ठीक नहीं होता है। कई इसे लोग होते हैं जो इंटरनेट के बिना न खाते हैं और ना पीते हैं। इंटरनेट से भी कई प्रकार के बुरे स्वास्थ्य प्रभाव पड़ते हैं जैसे वज़न बढना,
पैरों और हाथों में दर्द,
आँखों में दर्द और सूखापन,
कार्पल टनल सिंड्रोम,
मानसिक तनाव,
कमर में दर्द आदि।
World Wide Web क्या है? (What is WWW?)
वर्ल्ड वाइड वेब को web
के नाम से भी जाना जाता है, यह इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा use
होने वाला service
है। यह कई सारे web
servers और clients
को एक साथ जोड़ता है। Web
server में HTML
documents, images, videos और कई प्रकार के अन्य online
contents store रहते हैं, जिन्हें वेब की मदद से access
किया जा सकता है।
दुनियाभर में जितने भी websites
और web
pages हैं जिन्हें आप अपने web
browser पर देख पाते हैं। वे सभी वेब से जुड़े होते हैं, और इन्हें access
करने के लिए HTTP
(Hypertext Transfer Protocol) का उपयोग करना होता है।
इसे आप कई सारे web
servers का एक collection
भी कह सकते हैं। जब भी आप अपने ब्राउज़र के address
bar पर किसी वेबसाइट के URL
से पहले www
लगाएं तो समझ जाएँ की वह वेबसाइट किसी वेब सर्वर पर स्टोर है, जो की वेब से जुड़ा हुआ है इसलिए आप उसे access
करने के लिए वर्ल्ड वाइड वेब की मदद ले रहे हैं।
HTML (Hypertext Markup Language):
यह एक प्रकार का language
है जिससे web
page बनाया जाता है। एक वेबसाइट कई सारे web
pages से मिलकर बना होता है।
Web Server:
सर्वर एक प्रकार का कंप्यूटर होता है जिसमे वेबसाइट के सारे contents
जैसे web
pages, images, videos आदि को store
किया जाता है। सर्वर world
wide web से जुड़ा होता है ताकि इन contents
को दुनिया के किसी भी कोने से इंटरनेट के जरिये access
किया जा सके।
HTTP (Hypertext Transfer Protocol):
किसी भी computer
network में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं जिन्हें protocol
कहा जाता है। वेब में कोई information
सर्वर से आपके कंप्यूटर तक पहुँचता है तो इसके लिए HTTP
protocol का उपयोग होता है।
URL (Uniform Resource Locator):
यह एक प्रकार का एड्रेस है जो यह बताता है की कोई document वेब में किस location
पर उपलब्ध है।
Web Browser:
आसान भाषा में यदि कहें तो यह एक software
है जिसका उपयोग आप हर दिन अपने कंप्यूटर या मोबाइल में किसी वेबसाइट को access
करने के लिए करते हैं। इसमें एक address
bar होता है जिसपर URL
enter करके उस particular
website तक पहुँच सकते हैं।
वर्ल्ड वाइड वेब का इतिहास (History of World Wide
Web)
वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार सन 1989
में एक ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट Tim
Burners Lee ने किया था तब वे CERN
नामक संस्था में एक software
engineer थे। वे ‘Enquire’
नामक एक प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे जिसमे उन्हें उस संस्था में काम करने वालों का एक डेटाबेस बनाना था।
प्रोजेक्ट में काम करते समय उन्हें एहसास हुआ की information
को manage
करना काफी मुश्किल है क्योंकि data
अलग-अलग computer
और अलग-अलग program
में store
थे ऐसे में data
को centralize
करना और उसे एक जगह स्टोर करना कठिन काम था।
इस समस्या से निपटने के लिए उनके दिमाग में hypertext
का concept
आया। दरअसल उस समय इंटरनेट की खोज हो चुकी थी और पहले से ही लाखों computers
internet से जुड़ चुके थे तो उन्होंने सोचा की क्यूँ न कुछ ऐसा बनाया जाय जिससे इन computers
के बीच information
का आदान-प्रदान हो सके और उन्होंने हाइपरटेक्स्ट पर काम करना शुरू कर दिया।
Hypertext दरअसल एक तरीका है जिसके जरिये किसी device
पर text
को display
किया जाता है जिसमे hyperlink
का उपयोग करके अलग-अलग pages
को connect
किया जाता है,
‘Enquire’ प्रोजेक्ट में इसी का उपयोग किया गया था।
Tim चाहते थे की उनके इस सिस्टम के जरिये दुनियाभर के computers
के बीच information
exchange किया जा सके लेकिन शुरुआत में उनके इस proposal
को ठुकरा दिया गया लेकिन उनके बॉस को यह काफी रोचक लगा और उन्होंने Tim
को उसपर काम करने का सुझाव दिया।
अक्टूबर 1990
तक Tim
ने तीन तरह के technologies
HTML, HTTP, और URL
का निर्माण कर लिया था जो की Web
के लिए foundation
का काम करती है इसके अलावा दुनिया का सबसे पहला web
browser उन्होंने ही बनाया था।
World Wide Web कैसे काम करता है?
Web एक प्रकार के client-server
model पर काम करता है जहाँ आपका web
browser client program होता है, और सारे information
किसी web
server पर स्टोर रहते हैं। क्लाइंट सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है, जिसके जवाब में सर्वर उन सूचनाओं को वेब पेज के रूप में क्लाइंट को भेज देता है, जिसे हम स्क्रीन पर देख पाते हैं। चलिए step
by step तरीके से जानते हैं की आखिर World
Wide Web कैसे काम करता है:
वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में उस वेबसाइट/वेबपेज का URL
enter करते हैं।
URL किसी वेब पेज के IP
address का एक human
readable form होता है जिससे उस वेब पेज का लोकेशन पता चलता है।
HTTP protocol के माध्यम से URL
को DNS
(Domain Name Server) पर भेजा जाता है।
DNS उस URL
को IP
address में बदल देता है ताकि system
उसे समझ सके और उसे वापस browser
को भेजता है।
IP address से browser
को पता चल जाता है की वह website/web
page कौन से सर्वर में स्टोर है।
उस सर्वर को उस वेबसाइट/वेबपेज को access
करने के लिए request
भेजा जाता है।
जब सर्वर को वह पेज मिल जाता है तो उसे वह HTML
page के रूप में ब्राउज़र को भेज देता है।
HTML पेज को आपका ब्राउज़र आपके स्क्रीन पर render
करता है।
वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार सन 1989
में एक ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट टिम बर्नर्स-ली ने किया था।
Web Browser
वेब ब्राउज़र एक सॉफ्टवेयर/प्रोग्राम है। जिसका प्रयोग यूजर द्वारा किसी भी Web
Pages तक पहुँचने के लिए किया जाता है। यूजर द्वारा सर्च की गई जानकारी (Text,
Audio, Video, Image, App आदि) को ब्राउज़र स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है।
URL
जब हम वेब ब्राउज़र में किसी वेब पेज को एक्सेस करते है तो ब्राउज़र के सर्च बार में उस वेबपेज या वेबसाइट का URL
लिखते है। URL का Full
फॉर्म Uniform Resource Locator होता है।
जब हम वेब पेज का यूआरएल सर्च करते है तो ब्राउज़र DNS
(Domain Name System) की मदद से उस URL को IP Address में बदल देता है।
और फिर उस IP
Address पर एक Request
भेजी जाती है। उचित जानकारी को वेब सर्वर Html
में वेब ब्राउज़र को भेज देता है और उस जानकारी को ब्राउज़र द्वारा स्क्रीन पर दिखाया जाता है।
HTML
HTML का पूरा नाम Hypertext Markup Language होता है। यह एक Programming Language है और किसी भी Web Documents को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखा जाता है। किसी सर्वर पर स्टोर जानकारी इसी लैंग्वेज में होती है।
इसीलिए जब हम internet
पर किसी वेबपेज को ओपन करते है। तो उसके अंत में .html लिखा हुआ दिखाई देता है।
HTTP
Http (Hypertext transfer
Protocol) इंटरनेट पर सूचनाओं के आसान-प्रदान करने का एक Protocol
है। जब हम किसी ब्राउज़र में URL को सर्च करते है। तो इस प्रोटोकॉल के माध्यम से उस यूआरएल के वेब सर्वर पर एक Request
भेजी जाती है। और
Web Server के Request
प्रोसेस करने के बाद HTTP के माध्यम से Response Browser को भेजा जाता है। इस तरह HTTP इंटरनेट पर वेब सर्वर और यूआरएल के साथ Communicator
का काम करता है।
Web Server
Web Server एक Computer
प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर हो सकता है। यह इंटरनेट पर Data
Serve करने का काम करता है। प्रत्येक वेबसाइट का एक वेब सर्वर होता है। जहाँ उसका सारा डाटा Store
होता है। जब किसी URL को यूजर सर्च करता है। तो
Browser द्वारा उस वेबसाइट के सर्वर पर Request
भेजी जाती है। और HTTP के माध्यम से संबधित Result
ब्राउज़र में दिखाया जाता है।
Web Pages
किसी वेबसाइट पर उपलब्ध पेज को Web
Page कहते है। इसे HTML
(Hypertext Markup Language) में लिखा जाता है। वेब पेज वेबसाइट के Web
Server पर Store रहता है। इसे यूजर द्वारा URL के माध्यम से Access
किया जाता है।
Web Pages मिलकर ही वेबसाइट का निर्माण करते है। आसान भाषा में कहा जाये तो Web
Pages के समूह को ही वेबसाइट कहा जाता है।
सर्च इंजन क्या है? (What is Search Engine? )
सर्च इंजन एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसे इंटरनेट के द्वारा चलाया जाता है और जहां पर हम किसी भी प्रकार की सूचना की खोज कर सकते हैं। हम जो भी चीज ढूंढना चाहते हैं या फिर ढूंढते हैं उसके अनुसार सर्च इंजन द्वारा हमें कई सारे विकल्प प्रदान किए जाते हैं उनमें से जो हमें सबसे अधिक उत्तम लगता है हम उसी उत्तर पर जाकर अपनी खोज खत्म कर लेते हैं और अपनी खोज से जुड़ी सभी जानकारियां आसानी से प्राप्त कर पाते हैं। कुछ मुख्य लोकप्रिय सर्च इंजन के नाम गूगल, याहू, एमएसएन है। सर्च इंजन का उपयोग हम एक प्रकार की कुंजी की तरह करते हैं जिसमें हमारे हर सवालों के विस्तार पूर्वक जवाब प्राप्त हो सकते हैं। जिसकी सहायता से आप किसी भी दुनिया के कोने में बैठकर अपने मन में उठे किसी भी सवाल का जवाब आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
सर्च इंजन का इतिहास (Search
Engine History)
आज के समय में सवाल तो इतने सारे हैं परंतु उनका जवाब कहां से मिल सकता है इस बारे में यदि बात करें तो सर्च इंजन का नाम ही सबसे पहले आता है। 90 के दशक की बात की जाए तो उस समय में इंटरनेट और सर्च इंजन जैसी कोई भी सुविधाएं मौजूद नहीं थी। कॉलेज के दिनों में कई सारे प्रोजेक्ट विद्यार्थियों के ज्ञान और उनकी समझ को जानने के लिए उन्हें दिए जाते हैं, कुछ इसी प्रकार का प्रोजेक्ट कॉलेज में पढ़ने वाले उन छात्रों को दिया गया था, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट के नाम पर ही सर्च इंजन का आविष्कार कर डाला। उनका नाम अलेन एमटगे था। जी हां उन्होंने एक कॉलज प्रोजेक्ट के चलते ही सर्च इंजन का आविष्कार कर डाला।
पहले सर्च इंजन में कुछ ज्यादा फीचर्स नहीं बल्कि सिर्फ फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का ही काम किया जाता था। उससे जुड़े जितने भी सर्वर होते थे, उनसे कनेक्ट होकर एक नया डाटा ढूंढना पड़ता था। उस समय वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट से जुड़ना ही एकमात्र तरीका था, जिससे नई खोज व किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त की जा सकती थी। उसके जरिए ना तो काम करना आसान था और ना ही किसी वेब सर्वर और फाइल को ढूंढना। परंतु जब सर्च इंजन का आविष्कार हुआ तो यह सब काम धीरे-धीरे आसान होते गए।
गूगल
(Google)
:- गूगल का नाम तो आज के समय में हर कोई जानता है। आज यह अरबों खरबों की कंपनी बन चुकी है। इसका आविष्कार भी दो पीएचडी स्टूडेंट्स के हाथों से हुआ था। इस इंजन की खोज करने वाले व्यक्तियों का नाम सेर्गेई ब्रिन और लैरी पेज था,
वे दोनों ही स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफ़ोर्निया के एक कॉलेज में पढ़ते थे। जिन्होंने कॉलेज प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए ही गूगल का आविष्कार किया था। उनके द्वारा खोजा गया गूगल सबकी जुबान पर है जिसकी वजह से वह आज सर्च इंजन की लिस्ट में नंबर वन पर शामिल है। गूगल पर सर्च इंजन की लिस्ट की कोई सीमा ही नहीं है जिसमें किसी भी तरह की न्यूज़,
प्रोडक्ट, यूट्यूब,
फोटोस, गूगल ट्रांसलेट,
गूगल ड्राइव,
गूगल डॉक्स,
गूगल पत्रक,
गूगल स्लाइड,
गूगल कैलेंडर और बहुत सी चीजें आती है जो आज के समय में हर एंड्रॉयड फोन में पाई जाती हैं। इसकी सहायता से फोन की सभी पर्सनल जानकारियां पूरी तरह से सुरक्षित रखी जा सकती हैं और इसका उपयोग हर तरह की एप्लीकेशन के साथ जोड़कर किया जाने लगा है। एक अनुमानित आंकड़ों के अनुसार जब गूगल के मूल्यों का आंकलन किया गया,
तो गूगल को इस्तेमाल करने वाले लोगों के आंकड़ों ने हिला कर रख दिया।
नेटवर्क क्या हैं – What is
Network?
जब एक से अधिक कम्प्युटर आपस में किसी माध्यम (तार, बेतार) के जरिये एक-दूसरे से जुड जाते हैं तो इसे नेटवर्क कहते हैं. इस दौरान ये आपस में एक-दूसरे से संचार, डाटा आदान-प्रदान, संसाधन शेयर इत्यादि कार्य करते हैं.
कम्प्युटर नेटवर्क में एक साथ दर्जनों, सैंकडों, हजारों कम्प्युटर आपस में कनेक्टेड रहते हैं. जब किसी नेटवर्क से किसी डिवाईस को कनेक्ट किया जाता है तो इसे नेटवर्किंग करना कहते हैं. नेटवर्क से जुडे हुए प्रत्येक डिवाईस (कम्प्युटर) को Node (नोड) कहते हैं. और जो कम्प्युटर नेटवर्क के लिए संसाधन (Resources) मुहैया कराता हैं उसे सर्वर (Server) कहते हैं.
नोड्स यानि आपके कम्प्युटर को नेटवर्क से जुडने के लिए एक माध्यम की जरूरत पडती हैं. और इन माध्यमों में केबल, ऑप्टिक फाईबर केबल, वाई-फाई, ब्लुटूथ, सैटेलाईट, इंफ्रारैड आदि शामिल होते हैं. तथा नेटवर्क डिवाईसों का भी इस्तेमाल किया जाता हैं.
नेटवर्क का सबसे बढिया और समझने लायक उदाहरण इंटरनेट हैं. यह दुनिया का सबसे व्यस्तम और वृह्द कम्प्युटर नेटवर्क हैं.
कम्प्युटर नेटवर्क के विभिन्न प्रकार (Types of
Computer Network)
एक नेटवर्क में बहुत सारे तत्व शामिल होते हैं. और प्रत्येक नेटवर्क की बनावट, क्षमता, कार्यशैली, भिन्न होती हैं. इसलिए नेटवर्क को कई प्रकार में बांटा गया हैं.
1.
PAN
2.
HAN
3.
CAN
4.
LAN
5.
MAN
6.
WAN
1. Personal Area Network (PAN क्या हैं)
PAN एक निजी नेटवर्क का प्रकार हैं. जब आप अपने दोस्त के स्मार्टफोन से कोई फोटों ले रहे होते हैं. तब आप PAN Network का ही इस्तेमाल करते हैं. यह अक्सर ब्लुटूथ डिवाईस में ज्यादा इस्तेमाल होता हैं. इसके अलावा Infrared भी इसी में शामिल होती हैं.
इस नेटवर्क के दौरान एक व्यक्ति अपने घर या ऑफिस में अपने स्मार्टफोन, कम्प्युटर, ,हैडफोन आदि को किसी एक डिवाईस (Gateway) से नियंत्रित करता हैं. और इनके बीच आपस में संसाधन साझा किए जा सकते हैं.
2. Home Area Network (HAN क्या हैं)
Home Area Network भी एक प्रकार का निजी नेटवर्क होता हैं. मगर इसका दायरा व्यक्ति से निकलकर परिवार तक बढ जाता हैं. इस नेटवर्क की मदद से एक घर में उपलब्ध अन्य डिवाईसों जैसे Printers, Tablet, Speakers, Laptops आदि को आपस में कनेक्ट किया जाता हैं.
जब ये कनेक्शन यानि नेटवर्क स्थापित हो जाता हैं. तब आप आपके बगल वाले कमरे में रखे प्रिंट्रस से Print Out निकाल सकते हैं. अपने मन पसंद गाना चलाने के लिए स्मार्टफोन से स्पीकर को कनेक्ट कर सकते हैं. फाईल, अन्य डाटा शेयर कर सकते हैं.
यह नेटवर्क केबल और बिना केबल यानि वायरलेस हो सकता हैं. मगर इस प्रकार के नेटवर्क में वाई-फाई तकनीक का इस्तेमाल बेहतर रहता हैं.
3. Campus Area Network (CAN क्या हैं)
यन नेटवर्क शैक्षिक तथा सैन्य संस्थाओं में अधिक इसेमाल होता हैं. इसका दायरा संस्ता विशेष तक ही सीमित होता हैं. इसलिए इसे कैम्पस नेटवर्क कहते हैं. यह कुछ हद तक लोकल एरिया का ही भाग होता हैं.
4. Local Area Network (LAN क्या हैं)
जब एक सीमित स्थान जैसे इमारत, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, संस्थान, फैक्ट्री आदि में कम्प्युटरों को आपस में एक दूसरे से जोडा जाता हैं. तो इस नेटवर्क को लोकल एरिया नेटवर्क कहते हैं.
लैन नेटवर्क में इथरनेट और वाई-फाई तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता हैं. मगर इसमे केबल पर कम ध्यान दिया जाता हैं.
यहा कामकाजी जगह पर ज्यादा बनाए जाते हैं. इसमे एक मुख्य कम्प्युटर यानि सर्वर होता हैं. जहाँ पर संस्था से संबंधित डाटा रखा रहता हैं. और इसे अन्य कम्प्युटरों से जोड दिया जाता हैं. अगर किसी कर्मचारी को फाईल चाहिए होती है तो वो उसे अपनी डेस्क से ही एक्सेस कर पाता हैं.
लोकल एरिया नेटवर्क अधिकतर निजी नेटवर्क होते हैं. इनकी स्पीड तेज होती हैं और ये ज्यादा सुरक्षित भी होते हैं. इन्हे बनाने की लागत भी कम होती हैं.
5. Metropolitan Area
Network (MAN क्या हैं)
यह नेटवर्क एक से ज्यादा PAN, LAN आदि नेटवर्कों से मिलकर बना होता हैं. इसका दायरा सैकडों किलोमीटर होता हैं. और यह एक बडे शहर को आपस में जोड सकता हैं.
MAN से एक शहर में मौजूद सभी छोटे-बडे नेटवर्कों को आपस में कनेक्ट करता हैं. और इसमें स्कूल, कॉलेज, कैम्पस, लैन नेटवर्क, सरकारी संस्थान आपस में एक जुडे रहते हैं.
6. Wide Area Network (WAN क्या हैं)
इंटरनेट Wide Area Network है. यह दुनिया का सबसे बडा नेटवर्क होता हैं. और इसका दायरा सबसे बडा होता हैं. इस नेटवर्क को LAN of LANs कहा जाता हैं.
WAN से बहुत सारे LAN, WAN जुडे रहते हैं. और ये आपस में डाटा शेयर करते रहते हैं. इसके जरिये आप दुनिया भर के किसी भी कम्प्युटर से सैकंडों मे जुड सकते हैं. और लाईव प्रसारण का आनंद ले सकते हैं.
इस नेटवर्क में बहुत सारी तकनीक, प्रोटोकॉल (TCP/IP, ATM, MPLS) का इस्तेमाल होता हैं. और अन्य छोटे नेटवर्कों को जोडने के लिए मध्यस्थो ISPs की भी जरुरत पडती हैं. इसलिए यह नेटवर्क अन्य सभी नेटवर्कों की तुलना में बहुत मँहगा होता हैं.
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